धीर धरो मन
काव्य साहित्य | कविता कृष्णा वर्मा23 Feb 2019
धीर धरो मन यूँ हिम्मत ना हारो
नाहक ख़ुद को ना धिक्कारो
कोहरा हटेगा बादल छ्टेगा
होगा उदय भाग्य का दिनकर
उल्लासित रश्मियाँ
बिखरेंगी मन आँगन
कुम्हलाया मन
गुलाब सा खिल जाएगा
ज़र्रा-ज़र्रा केसरिया
ब्यार से महक जाएगा
हृदय पटल पर
ख़ुशियों की दास्तां होगी
जीवन आँगन में
प्यार की धूप-छाँव होगी
दुखों को सहलाएगी
सुख की ठंडी फुहार
राग हृदय से फूटेंगे
बजेगी अदृष्य सितार
मन मुड़ेर पे नित सजेगी दीवाली
दिन होंगे मदमस्त रातें मतवाली!
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