दिल बेक़रार क्यों है?
शायरी | नज़्म प्रो. भूपेन्द्र मिश्रा 'सूफ़ी'23 Nov 2014
दिल बेक़रार क्यों है?
ये इंतज़ार क्यों है?
मालूम है मुझे कि आना नहीं तुम्हें है,
फिर भी समझ न आता वादे हज़ार क्यों हैं।
मुझे याद मत दिलाओ बीते हुए दिनों की,
दिल है बुझा-बुझा सा, फिर ये बहार क्यों है?
इक़रार भी बहुत था, इज़हार भी बहुत था,
ज़ाहिर भले नहीं हो पर प्यार वो बहुत था।
उस दिन तो हम मिले थे, इनकार आज क्यों है?
दिल बेक़रार क्यों है?
ये इंतज़ार क्यों है?
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