दो टूक बात
कथा साहित्य | लघुकथा निर्मल कुमार दे15 Apr 2021 (अंक: 179, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
"आपने शादी के पहले ख़ुद मुझसे बहुत सारी जानकारी ली। फिर दूसरों से क्यों तुलना? मैंने तो कभी अपनी डिग्री की ग़लत सूचना नहीं दी।"
पत्नी की बातों से आकाश को लगा पत्नी आज मूड बना कर बात कर रही है, "आज तुम बहुत नाराज़ हो?"
"मैं नाराज़ नहीं हूँ,नाराज होकर भी क्या कर सकती हूँ," नीला ने कहा।
"तो फिर?"
"आप मेरे पति हैं। आपकी जिन बातों से मुझे दुख होता है उसकी चर्चा बाहर नहीं करना चाहा, अपने माता पिता से भी नहीं, इसीलिए आपसे की। दूसरों की पत्नी से तुलना करना मुझे ख़राब लगा। हर इंसान की अपनी अलग अलग शख़्सियत होती है।"
"हाँ इसे मैं मानता हूँ," आकाश को लगा कि नीला इतनी साधारण नहीं है जितना वह समझता है।
"आप मर्द लोग दूसरों की बीबी की प्रशंसा कितनी आसानी से कर लेते हैं। कोई औरत पराए मर्द की प्रशंसा कर दे तो उसे बदचलन तक कहने से बाज़ नहीं आता उसका मर्द," नीला ने कहा।
"बस करो मैडम, आपकी बातों में दम है। चलो अब चाय तो पिला दो," आकाश ने कहा।
अपनी दो टूक बात से आकाश को पहली बार पराजित देख हँस पड़ी नीला और चाय बनाने किचेन में चली गई।
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