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दूर  मुझसे न  जा  वरना  मर जाऊँगा 

ग़ज़ल- 212  212  212  212
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

 

दूर  मुझसे न  जा  वरना  मर जाऊँगा 
धीरे-धीरे   सही   मैं   सुधर    जाऊँगा  

 

बाद  मरने   के   भी   मैं   रहूँगा   तेरा 
चर्चा होगी  यही  जिस  डगर  जाऊँगा  

 

मेरा  दिल  आईना  है   न   तोड़ो  इसे 
गर ये टूटा तो फिर  से  बिखर जाऊँगा  

 

नाम  मेरा  भी  है   पर  बुरा  ही   सही 
कुछ न कुछ तो कभी अच्छा कर जाऊँगा

 

मेरी फ़ितरत में है लड़ना सच के लिए 
तू  डराएगा  तो  क्या  मैं  डर जाऊँगा  

 

झूठी दुनिया में दिल देखो लगता नहीं 
छोड़ अब ये महल अपने घर जाऊँगा  

 

मौत सच है यहाँ बाक़ी धोका "निज़ाम" 
सच ही कहना है कह के गुज़र जाऊँगा  

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