दु:ख
काव्य साहित्य | कविता सुधेश1 Jan 2016
दु:ख सब को माँझता है
पर उन का क्या
जो दु:ख को ही
काली कमाई से माँझ कर
सुख की मरीचिका में बदल
पूछते हैं दु:ख कहाँ है
वह मन का भ्रम है
भक्ति का पर्याय
भक्ति का बीज है।
पर उन का क्या होगा जो
दु:ख की पहाड़ियों में दबे
मौत माँगते हैं।
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