दुष्ट करोना तुझे तो मरना होगा
काव्य साहित्य | कविता डॉ. रामवृक्ष सिंह15 Jul 2021 (अंक: 185, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
जबसे सुबह हुई है मेरी दबा रहा हूँ मेवा
पत्नी परिजन जुटे हुए करने में मेरी सेवा
बीच-बीच में लेता हूँ जब गरम गरम मैं भाप
कहे करोना- छोड़ो मुझको, अरे बाप रे बाप!
मैं कहता हूँ दुष्ट करोना तुझे तो मरना होगा
भारत की पवित्र धरती को खाली करना होगा
तुझे बुलाया था क्या हमने देकर विनय संदेश
क्यों आया आतंक मचाने बदल-बदलकर वेश
पहले न थे सचेत मगर अब है अपनी तैयारी
दुष्ट करोना, अब तो तेरी मरने की है बारी
युद्ध भूमि यह, प्राण हथेली सिर पर धरे कफ़न हम
मारेंगे या खेत रहेंगे, किए हुए यह प्रण हम
कभी समर में मुँह की खाने योद्धा नहीं उतरते
वही विजय पाते हैं जो मरने से तनिक न डरते
हम मारेंगे खोज-खोजकर नहीं बचेगा अब तू
देखें छल-बल से कितने बहुरूप रचेगा तू
मूलोच्छेद करो दुश्मन का, नाम तलक मत छोड़ो
जहाँ मिले, निर्मूल करो, ज़ालिम की पसली तोड़ो।
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