अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

एक बेटी की उम्मीद

पूरे नौ माह का सफ़र तय कर
तेरी गोद की मंज़िल पाई है।
सोचा था पाकर मुझे,
होठों पर तेरे मुस्कान खिलेगी,
पर देख मुझे आँख तेरी भर आई है!
 
क्यों अरमान सारे मुरझाए हैं?
ख़ुशबू के साये सिमट आए हैं?
प्रतिरूप हूँ मैं तेरा ही, फिर क्यों
ख़ुशियों के फूल न खिल पाए हैं?
 
बेटा बन आ न सकी जो तेरे आँगन में,
तो बोझ समझ त्याग दिया जग कानन में!
ये तो सोचो, इस बेरूख़ी से,
कैसे बहार आएगी मेरे सूने जीवन में?
 
पतझर बन बिखर जाऊँगी मैं,
गोद में तेरी सँवर जाऊँगी मैं।
स्पर्श तेरा पाकर ही खिलखिलाऊँगी मैं,
बिना तेरे घुटन से भरी तिलमिलाऊँगी मैं।

देर न हुई, अँधेर न हुई,
अब भी समय है,
इस क्षण शक्ति बन जा मेरी
यक़ीन कर, हाँ पूरा यक़ीन कर
कल शक्ति बनूँगी मैं तेरी,
एक-दूजे में समाहित होकर
एक बन जाएँगे हम
तू जो साथ दे, तो
एक नया जहाँ बनाएँगे हम।
माँ . . . ओ मेरी प्यारी माँ . . .
एक नया सवेरा लाएँगे हम!

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

रेखाचित्र

ललित निबन्ध

कहानी

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं