एक ही सूरज
काव्य साहित्य | कविता - क्षणिका डॉ. रमा द्विवेदी17 Nov 2014
एक ही सूरज यहाँ भी,
एक ही सूरज वहाँ भी,
पर, एक साथ हर जगह,
सुबह नहीं होती।
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