एक सवाल और उसका जवाब
काव्य साहित्य | कविता साधना सिंह30 Nov 2018
अस्वीकृत होने का बोझ
और एक सवाल
अस्वीकार कर दिये जाने के ग्लानि के साथ
आगे बढ़ना क्या आसान है?
फिर जवाब में एक और सवाल..
हाँ..
क्योंकि स्वीकार कर लिये जाने पर
शायद बात वहीं रह जाये,
पर अस्वीकृत होना एक खोज है..
स्वयं में.... बेहतर की,
स्वयं की.... बेहतरी की
एक मौक़ा है आईना देख निखरने का
फिर आईना दिखा
उभरने का..
ये रास्तों का अंत नहीं,
हौसलों की परीक्षा है
कि उसी रास्तों से आगे
अपना रास्ता बनाकर..
उसी जगह पहुँचना है..
जहाँ अस्वीकार कर दिये जाने वाली ग्लानि
आत्मसम्मान से लबालब
आत्म निर्भर हो उठे..
किसी और को राह दिखाने के लिये ...
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