फ़िक्र
काव्य साहित्य | कविता डॉ. विक्रम सिंह ठाकुर31 Oct 2014
फ़िक़्र नहीं लहू बहने की
फ़िक़्र बस अपनी शान की है
फ़िक़्र नहीं बिखरते गुलिस्तां की
फ़िक़्र बस अपने भगवान की है
फ़िक़्र अल्लाह की, फ़िक़्र ईश्वर की
फ़िक़्र राम की, फ़िक़्र बाबर की
फ़िक़्र मस्जिद की, फ़िक़्र मंदिर की
पर इन्सां की फ़िक़्र कहाँ है
फ़िक़्र मज़हब की, फ़िक़्र धरम की
फ़िक़्र है बुत की, फ़िक़्र हरम की
फ़िक़्र है सबको ख़ुदा-ए-क़रम की
टूटे दिल की फ़िक़्र कहाँ है
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