गाँव तुम्हें लिख दूँ चिट्ठी
काव्य साहित्य | कविता महेश रौतेला1 Oct 2020
गाँव तुम्हें लिख दूँ चिट्ठी
किसी खेत की बात पूछ लूँ,
किसी मोड़ की बात जान लूँ
देश-विदेश की कथा सुना दूँ।
पाठशाला के लेख लिखा दूँ
ज्ञान-विज्ञान की बात बता दूँ,
तुझसे तेरी बात पूछ लूँ
ग्राम देवता का पता जान लूँ।
चैत-वैशाख वहीं सुने थे
गिनती अपनी वहीं पढ़ी थी,
बचपन के खेल वहीं दिखे थे
नदियों के सुर वहीं सुने थे।
गायें चरकर घर आती थीं
दूध कटोरा भर देती थीं,
गाँव तुम्हें लिख दूँ चिट्ठी
कितनी उपजाऊ अब तक मिट्टी?
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