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गणतंत्र

इतिहास राजतंत्र का
परिवेश गणतंत्र का
बदलाव है परिवेश में 
परिवेश ही आरम्भ है।

परिवेश राष्ट्रवाद का
आवेश है विकास का
कुरीतियों के नाश का
अवसाद किस बात का?

प्रसारित कुरीतियाँ
अवतरित है नीतियाँ 
नीतियों से आस है 
आस का आवास है।

निर्धनता का नाश हो 
अभिजात्य का विनाश हो
विषमता का प्रवास हो
समानता का वास हो।

एकजुटता के रंग में
तिरंगा हो संग में 
बन्धुत्व की बयार हो  
ख़ुशियाँ अपार हों।

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टिप्पणियाँ

Ramsuresh 2019/06/16 12:09 AM

Bahut lajabab lekhani kavi ji

Viphai 2019/04/17 04:24 PM

Nice piece of writing

mohd husain 2019/03/24 01:37 PM

bhaiya g meri jigyasa h ki main pp ki ek kabita rajnit pe padhu

Rajesh Patel 2019/03/04 09:18 AM

Nyc lines .. शब्द का चुनाव काफी अच्छा है.. ऐसे ही लिखते रहिये

Anwar Ali 2019/03/04 05:58 AM

Nice 1

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