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गीत-ओ-नज़्में लिख उन्हें याद करते हैं

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गीत-ओ-नज़्में लिख उन्हें याद करते हैं,
चाय की सोहबत में दिल को शाद करते हैं।
 
इस शब-ए-ग़म में क्या हम शब-ज़ाद करते हैं,
बस सुबह तक ताब-ए-ग़म ईज़ाद करते हैं।
 
ख़ुद-कलामी की आदत हम को हुई जब से,
तब से बस तन्हाई पर बेदाद करते हैं।
 
बढ़ रही है जितनी मीआद-ए-सितम दिल में,
और भी हम ग़ज़लों को नौशाद करते हैं।
 
अर्श तुम भी तो जानो क्या क्या मुहब्बत में,
हीर-राँझा-ओ-शीरीं-फ़रहाद करते हैं।

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टिप्पणियाँ

अभय राठौड़ दानापुर 2021/10/20 11:17 PM

Khubsurat ghazal bahi

दिलीप सिंह 2021/10/20 11:12 PM

Gajab sher

प्रवीन ठाकुर 2021/10/20 06:57 PM

Waah khub

आलोक वर्मा 2021/10/10 01:04 PM

Waah

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