गुफ़्तगू इससे भी करा कीजे
शायरी | ग़ज़ल नीरज गोस्वामी15 Jul 2007
गुफ़्तगू इससे भी करा कीजे
दोस्त है दिल ना यूँ डरा कीजे
दर्द सह कर के मुस्कुराना है
आप घबरा के मत मरा कीजे
जब सकूँ सा कभी लगे दिल में
तब दबी चोट को हरा कीजे
याद आना है ख़ूब आओ मगर
मेरी आँखों से ना झरा कीजे
क्या है इन्साफ़ बस सजाऐं ही
कभी खोटे को भी खरा कीजे
नहीं आसान थामना फिर भी
हाथ उसकी तरफ जरा कीजे
वो है खुशबू ये जान लो नीरज
उसको साँसों में बस भरा कीजे
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