गुलमोहर (ज्योत्स्ना प्रदीप)
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु ज्योत्स्ना 'प्रदीप'1 Mar 2016
1.
गिरधर का
मुकुट-धरोहर
गुलमोहर।
2.
ताप सहता
पीड़ा ना कहता
गुलमोहर।
3.
मधु का स्रोत
खुशी से ओत-प्रोत
ये कृष्णचूड़
4.
मोह लेता रे
मोहन को भी यह
गुलमोहर।
5.
ये स्वर्ग-पुष्प
सुने राग-बहार
मधुमक्खी का
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