हम ज़िन्दगी के साथ चलते चले गये
शायरी | ग़ज़ल मानोशी चैटर्जी23 May 2017
हम ज़िन्दगी के साथ चलते चले गये
जैसी मिली हम उसमें ढलते चले गये
छोड़ा था उसने हाथ एक उम्र हो चुकी
फिर भी ख़्वाब जाने क्यूँ पलते चले गये
इक उफ़ भी ना निकली ज़ुबाँ से उनके
हँस के निगली आग और जलते चले गये
आख़िर हम ने तोड़ ली यादों से दोस्ती
दुश्मनी में ख़ुद को हम छलते चले गये
आई जो एक आँधी नया दौर कह के
कुछ लो इसके साथ बदलते चले गये
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