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हम ज़िन्दगी के साथ चलते चले गये

हम ज़िन्दगी के साथ चलते चले गये
जैसी मिली हम उसमें ढलते चले गये

छोड़ा था उसने हाथ एक उम्र हो चुकी
फिर भी ख़्वाब जाने क्यूँ पलते चले गये

इक उफ़ भी ना निकली ज़ुबाँ से उनके
हँस के निगली आग और जलते चले गये

आख़िर हम ने तोड़ ली यादों से दोस्ती
दुश्मनी में ख़ुद को हम छलते चले गये

आई जो एक आँधी नया दौर कह के
कुछ लो इसके साथ बदलते चले गये

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