हमें अखण्ड - देश पर गुमान है
काव्य साहित्य | कविता अनिल मिश्रा ’प्रहरी’1 Nov 2020 (अंक: 168, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
पंजाब , असम, आंध्र अंग
तमिल , बिहार और बंग,
अनेक खण्ड, बोलियाँ
बँटी न पर जुबान है।
हमें अखण्ड - देश पर गुमान है।
अनेक धर्म पल रहे
भ्रमित सहज बदल रहे,
अछूत, जाति - भेद की
जमीन अब वीरान है।
हमें अखण्ड - देश पर गुमान है।
गईं दिलों से दूरियाँ
कटार कुंद, छुरियाँ,
नये सृजन, विकास की
नई, सफल उड़ान है।
हमें अखण्ड- देश पर गुमान है।
खिले सुमन चमन - चमन
विराजता यहाँ अमन,
पवित्र मातृभूमि शुभ्र
स्वर्ग से महान है।
हमें अखण्ड - देश पर गुमान है।
अनिल मिश्र प्रहरी।
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