हरि वंदना
काव्य साहित्य | कविता लवनीत मिश्र1 Jun 2019
हे हरि मधुसूदन,
हे जगत गुणधाम,
त्राहि त्राहि करे हृदय,
अरज सुनो श्री राम,
माया ने जीवन ठगा,
लोभ से मन भरमाया,
आसक्त हो मद काम में,
व्यर्थ समय गँवाया,
सुख की इच्छा सब करे,
दुख से सबको बैर,
सुख दुख भ्रम का जाल है,
जो जकड़े हाथ और पैर,
नारायण विनती सुनो,
शरण रखो निज धाम,
चरनन मे भक्ति रहे,
जपे हृदय हरि नाम।
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shankar singh 2019/06/15 07:38 AM
apkee rachnaao me dam hai....... bahut sunder