हसीं-घरों में वो शीशे दिखाई देते हैं
शायरी | ग़ज़ल अहमद रईस निज़ामी3 May 2012
हसीं-घरों में वो शीशे दिखाई देते हैं
जहाँ पे बौने भी लम्बे दिखाई देते हैं
हमारी घात में बैठे दिखाई देते हैं
हर एक मोड़ पे कुत्ते दिखाई देते हैं
मैं राजनीति का लेता हूँ जायज़ा जिस दम
लिबास वाले भी नंगे दिखाई देते हैं
शरारतों का वो तूफ़ान लेके चलते हैं
किसी शरीफ़ के बेटे दिखाई देते हैं
ये कुर्सियों से चिपक कर जराईम पेशा भी
बड़े शरीफ़ और सच्चे दिखाई देते हैं
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