होली
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता रमेश ‘आचार्य’19 Feb 2015
रंगों की बहार लाया, पानी की बौछार लाया,
बच्चों की कतार लाया, होली का त्योहार आया।
बड़े-बूढ़ों ने आपस में, खूब रंग जमाया,
इक-दूजे को गले लगाकर, सबने बैर भुलाया।
चुन्नू-मुन्नू की टोली ने, ऐसा हुड़दंग मचाया,
भर पिचकारी मार-मार, सबको खूब दौड़ाया।
मम्मी ने भी पापा को, जमकर गुलाल लगाया,
दादाजी ने भी नाचकर, सबको खूब हँसाया।
खीर, पकौड़े, गुजिया खाकर, सबको मज़ा आया।
होली है, भई होली है, मस्ती में सबने गाया।
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