होली २०२०
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु निर्मल सिद्धू15 Mar 2020
उड़े गुलाल
मन हुआ रंगीन
यारों के संग
प्रेम की भंग
इतनी पीयें आज
नशा ना टूटे
रूठे यार को
होली हँस के बोली
मना लो आज
इक दूजे के
रंग में रँग जायें
होली खेलें यूँ
भाती है तभी
होली की हुड़दंग
सारे हों साथ
होली का मौक़ा
जोशीला व रंगीला
मार लें चौका
होली का पर्व
बसंती उपहार
मचायें धूम
अपनी होली
अपने हैं जो साथ
तभी है होली
दूर कीजिये
चिन्ता, क्रोध, तनाव
पैग़ामे होली
आओ जलायें
वैर, विरोध, इर्षा
होली में आज
चल पड़ी है
फागुन की लहर
गली-गली में
रंगों का मेला
पकवानों का स्वाद
वाह जी वाह
नशा है घुला
मन की नदिया में
मिल लो गले ।
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