होली के रँग
काव्य साहित्य | दोहे सुषमा दीक्षित शुक्ला1 Apr 2021
होली के शुचि पर्व में,
रँगो प्रेम से मीत।
प्रेम करो हर एक से
लिखो प्रेम के गीत।
फागुन आया झूमता,
हैं बगियन में बौर।
रंगों का त्यौहार ये,
मधुर मिलन का दौर।
होली के रंग में रँगो,
छोड़ो सारे क्लेश।
हो जाओ सब एकरंग,
भूलभाल कर द्वेष ।
पिचकारी भर भर रँगो,
डालो लाल गुलाल।
होली में मिल झूम लो,
रँग दो सब के गाल।
कोई बैरी ना रहे,
होली से लो सीख।
प्रेम रंग से जग रँगों,
बनो सभी के मीत।
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