होली
काव्य साहित्य | कविता रंजना जैन15 Mar 2021 (अंक: 177, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
सखी, फागुन की आयी बहार
होली खेलो अबीर गुलाल!
लाल रंग का गहरा असर है
प्रीत रीति का सुन्दर मिलन है
कर दो लाल गुलाबी गाल
होली खेलो अबीर गुलाल!
हल्दी केसर कुमकुम लाओ
केसरिया रंग गाढ़ा बनाओ
भरो पिचकारी बारंबार
होली खेलो अबीर गुलाल!
हरे बैंजनी नीले पीले
अलबेलों की टोली मेले
देखो फागुन के रंग हज़ार
होली खेलो अबीर गुलाल!
ढोल झाँझ ढप ढोलक बजाओ
ठुमरी दादरा गीत सुनाओ
नाचो गाओ मुबारक हो फाग
होली खेलो अबीर गुलाल!!
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