इस गली में न उस डगर जाएँ
शायरी | ग़ज़ल कु. सुरेश सांगवान 'सरू’1 Jan 2021
2122 1212 22
इस गली में न उस डगर जाएँ
प्यार की राह पर बिखर जाएँ
बेअसर हो गई दवा उनकी
दे मुझे अब वही ज़हर जाएँ
कुछ नया और कुछ पुराना है
आज सारा हिसाब कर जाएँ
पा सके जो न प्यार की राहें
ये बता दो कि वो किधर जाएँ
कुछ हमारे उसूल हैं वरना
हम भी उनकी तरह मुकर जाएँ
चैन आता नहीं कहीं मुझको
है जिन्हें राहतें वो घर जाएँ
काश के आज इन बहारों के
रंग दिल में सभी उतर जाएँ
छोड़ सारी ख़राब आदत हम
है तमन्ना के अब सुधर जाएँ
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