इस जाड़े को
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता संजीव ठाकुर15 Jan 2021 (अंक: 173, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
इस जाड़े को दूर भगाओ
सूरज भैया जल्दी आओ!
जाड़े में देखो तो कोयल
भूल गई गाना
चिड़ियों के बच्चों ने मुँह में
न डाला दाना!
सूरज भैया आओ
थोड़ी गर्मी ले आओ
और हमारे साथ बैठकर
पिज़्ज़ा, बर्गर खाओ!
साथ रहोगे तो जाड़े की
दाल रहेगी कच्ची
दादी का तो हाल बुरा है
हो जाएगी अच्छी!
गर्मी आ जाए तो चाहे
आसमान में जाना
जाड़े के मौसम में लेकिन
वापस आ जाना।
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