इश्क़ में जिसको मुबतला देखा
शायरी | ग़ज़ल राज़दान ’राज़’1 Dec 2020 (अंक: 170, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
इश्क़ में जिसको मुबतला देखा
हाल कमबख़्त का बुरा देखा
यूँ तो देखे बहुत से दीवाने
रोग आशिक़ का पर जुदा देखा
कोई मंज़िल न थी कहीं उस की
इश्क़ का जो भी रास्ता देखा
इश्क़ वालों की बात क्या कहिए
चाँद तारों से राब्ता देखा
जो भी आशिक़ था उस की आँखों में
उस के महबूब को छुपा देखा
हुस्न वालों को देखा समझाते
इश्क़ कुछ भी न समझता देखा
‘राज़’ जो इश्क़ के भँवर में फँसा
उस को अश्कों में डूबता देखा
(संग्रह-राज़-ए-ग़ज़ल)
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
क़ता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं