जल संरक्षण
कथा साहित्य | लघुकथा कमला निखुर्पा1 May 2019
सीमा आज वह बहुत ख़ुश थी। उसने प्रार्थना सभा में जल संरक्षण पर भाषण दिया था। भाषण सुनकर सभी ने ज़ोरदार तालियाँ बजाईं। साथी अध्यापकों ने उसकी भाषण- कला की तारीफ़ की।
दुबेजी बोले, "वाह सीमा मैडम! क्या ज़बरदस्त भाषण था आपका, भई हम तो कायल हो गए हैं आपके, अरे भई शर्माजी! सबसे ज़्यादा पानी तो आप ही बरबाद करते हैं। पूरी कालोनी में, बारिश के मौसम में भी बग़ीचे में रोज़ पाइप से सिंचाई हो रही है, सीमा मैडम! ज़रा समझाइये इन्हें भी, आज सारा पानी ये बग़ीचे में गिराते रहे तो कल इनके पोते पोतियाँ प्यासे रह जाएँगे।"
कक्षा में सीमा मैडम ने विद्यार्थियों को जलसंरक्षण पर प्रोजेक्ट दिया। उनको निर्देश दिया कि वे अपने मुहल्ले में वर्षा-जल संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक करें।
जल संरक्षण पर विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए प्राचार्य ने सीमा के प्रयासों की सराहना की। सीमा स्कूल से गुनगुनाते हुए घर आई। घर आकर उसने पानी का मोटर ऑन किया, शॉवर खोला और आँखें बंदकर ठंडे पानी से थकान मिटाने लगी। तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। जल्दी-जल्दी गाउन पहनकर उसने दरवाज़ा खोला, देखा तो सामने पड़ोसन परेशान- सी खड़ी थी।
"मैडम आप अपना मोटर बंद कर दीजिए, मेरे यहाँ बिलकुल पानी नहीं आ रहा है।"
"पानी नहीं आ रहा है तो मैं क्या करूँ? आप अपनी कोई और व्यवस्था कर लीजिए।"
"मैडम आपकी और हमारी पाइपलाइन एक है; जब आप मोटर चलाती हैं तो मेरे यहाँ पानी बंद हो जाता है।"
"ये आपकी प्रॉब्लम है मैं क्या कर सकती हूँ?"
सीधी-सादी पड़ोसन अपना- सा मुँह लेकर वापस चली गई।
स्कूल का आख़िरी कार्यदिवस, कल से दो महीने की छुट्टियाँ हैं। जल-संरक्षण पर जन-जागरूकता अभियान चलाने के लिए सीमा को आज ज़िलाधिकारी महोदय के हाथों प्रशस्ति पत्र मिला है। सीमा ख़ुशी से फूली न समाई। तुरंत मिठाई ख़रीदी, घर आकर अपने पति और बच्चों को मिठाई खिलाकर ख़ुशख़बरी सुनाई। बच्चे छुट्टियों में नानी के घर जाने की ख़ुशी में शोर मचाने लगे। जल्दी-जल्दी सामान पैक होने लगा। सीमा के पतिदेव टैक्सी लेकर आ गए। सीमा और उसका परिवार छुट्टी मनाने चला गया।
ठीक पाँच बजे सीमा के रसोईघर के नल से आवाज़ आई...सूं सूं
फिर बाथरूम के नल ने भी सिसकारी भरी। सभी नलों से पानी बहने लगा झर झर झर झर।
नलों का स्वच्छ पानी गंदी नाली में मिलकर बहने लगा और पूरे दो महीने तक बहता रहा।
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