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जनाज़े जा रहे हैं  डोलियों से 

जनाज़े      जा रहे हैं  डोलियों से 
कि वो   मारी गईं    हैं गोलियों से 
 
अगर   वो लोग   भी शादी करेंगी 
कहेंगी कुछ न  वो हमजोलियों से 
 
अदालत    भी खड़ी तकती रहेगी 
वो मुझको    मार देगा बोलियों से 
 
अमीरे  शहर   से परहेज़     करना 
जो चाहो     मांग लेना झोलियों से 
 
बड़े दिन बाद ये    मुमक़िन हुआ है 
ग़ज़ल निकली है अब अठखेलियों से 
 
समझ अब मैं   गई हूँ अपनी ताक़त 
निकल जाऊँगी   अब मैं  बेड़ियों से 
 
रगड़  कर बढ़ रहा      हूँ हौसला है 
पहुंच   जाऊंगा   ज़ख़्मी एड़ियों से 
 
मैं घर से जा रही  अल्लाह हाफ़िज़ 
बचा   लेना   हमें तुम भेड़ियों     से 

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