जन्मदिन
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता अर्चना सिंह 'जया'8 Nov 2016
अम्बर पर बहती थी नदिया
धरती पर थे चाँद सितारे
हाथों में थी जादुई डिबिया
वस्त्र भी थे सुन्दर सुनहरे।
"बेबलेड" ने थी धूम मचायी
"बेबलेड"- "बेबलेड" मैं भी चिल्लाई
तभी मम्मी ने खींची रजाई
जन्मदिन हो तुम्हें मुबारक।
भर बाँहों में गले लगाई
मैं अब भी थी, सपनों के रंग नहाई
सपनों को सच करने की ज़िद्द ठानी
क्या "बेबलेड" मुझे भी मिलेगी भाई?
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