जीवन और साहित्य
काव्य साहित्य | कविता सुषमा दीक्षित शुक्ला1 Nov 2020
सत्य कहा किसी ने मित्रो,
साहित्य समाज का दर्पण है।
सत्य मिथ्या का भेद बताये,
इस हित जीवन अर्पण है।
मातु शारदे के चरणों से
इसका मित्रो उद्गम है।
पथ भटकों को राह दिखाये,
इसमें जीवन दर्शन है।
लिखा हुआ इतिहास इसी में,
इसमें विज्ञान है सारा।
इसमें सबकुछ पढ़ सकते हो,
भूत भविष्य तुम्हारा।
माँ वाणी का आँचल है ये,
ब्रह्मा जी का है वरदान।
विद्या का आवाह्न इसी में
इसमें सारे वेद पुराण।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
"पहर को “पिघलना” नहीं सिखाया तुमने
कविता | पूनम चन्द्रा ’मनु’सदियों से एक करवट ही बैठा है ... बस बर्फ…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अब ना सखी मोहे सावन सुहाए
- आख़िर सजन के पास जाना
- आज़ाद चन्द्र शेखर महान
- इतिहास रचो ऐ! सृजनकार
- ऐ मातृ शक्ति अब जाग जाग
- गुनगुनी धूप अब मन को भाने लगी
- जाने जीवन किस ओर चला
- जीवन और साहित्य
- तुम बिन कौन उबारे
- तू बिखर गयी जीवनधारा
- नवल वर्ष के आँगन पर
- पवन बसन्ती
- प्रभात की सविता
- भावना के पुष्प
- माता-पिता की चरण सेवा
- ये जो मेरा वतन है
- रोम रोम में शिव हैं जिनके
- वीरों का ले अरि से हिसाब
- शिक्षक प्रणेता राष्ट्र का
- हुई अमर ये प्रेम कहानी
गीत-नवगीत
स्मृति लेख
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}