जिसने साधा वो जीवन जिया है
काव्य साहित्य | कविता रंजना जैन15 Jun 2021 (अंक: 183, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
योग के मार्ग पर हम चलें
अपने तन मन को पावन करें
ज्ञान की ये अद्भुत कला है
जिसने साधा वो जीवन जिया है॥
अनगिनत पुण्यों से तन मिला है
धर्म साधन का उपहार बना है
योग आसन का अभ्यास कर लो
अंग प्रत्यंग ऊर्जा से भर लो
रोग मुक्ति की अनुपम विधा है
जिसने साधा वो जीवन जिया है॥
जाति मज़हब से मतलब नहीं है
आत्म शुद्धि का दर्शन यही है
ध्यान से मन को एकाग्र कर लो
प्रेम श्रृद्धा को हृदय में रख लो
विश्व शांति का सूत्र नया है
जिसने साधा वो जीवन जिया है॥
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