जो तुम आ जाते
काव्य साहित्य | कविता डॉ. सुरंगमा यादव1 Dec 2019 (अंक: 145, प्रथम, 2019 में प्रकाशित)
जो तुम आ जाते जीवन में
जीवन सुमन विहँस जाता
धुल जाता मन का विषाद सब
राग मधुर मन गा उठता
भटक रहीं जो अभिलाषाएँ
उनको आश्रय मिल जाता
मृदु सपनों में खोते नयना
करते रहे जो जगराता
चिर संचित नैराश्य हमारा
धवल हास बन छा जाता
थकित हुआ है मन पंछी अब
नीड़ प्यार का मिल जाता
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
सामाजिक आलेख
दोहे
कविता
कविता-मुक्तक
लघुकथा
सांस्कृतिक आलेख
शोध निबन्ध
कविता-माहिया
पुस्तक समीक्षा
कविता - हाइकु
कविता-ताँका
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो
उपलब्ध नहीं