जंग छोड़कर जो भागे थे
शायरी | ग़ज़ल वेणी शंकर पटेल 'ब्रज'18 Jan 2018
सच के रास्ते खार बिछे हैं महज ख़्यालों से मतलब क्या
राहे गुल हो तुम्हे मुबारक हमें गुलाबों से मतलब क्या
अपने दिल का पन्ना पन्ना कोरा है क्या तुम पढ़ लोगे
अंधियारे से रिश्तेदारी और उजालों से मतलब क्या
मंज़िल पाना है तो यारो एक तरीक़ा रखना याद
इम्तिहान हैं क़दम क़दम पर व्यर्थ सवालों से मतलब क्या
फूल, चाँदनी, ख़ुशबू, चंदा सबकी बातें बेमानी हैं
पतझड़ जिनके जीवन में हो उन्हें बहारों से मतलब क्या
व्यर्थ हुआ है इंक़लाब के गीत सुनाना उनको भी "ब्रज"
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होम सुवेदी 2021/04/15 01:44 PM
बहुत खुब मित्र । बहुत ही अच्छी गजल पढकर मजा आया । बधाई हो ।