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कचरे में मिली लक्ष्मी

 झाड़ी के पास काफ़ी भीड़ देख पुलिस इंस्पेक्टर सुश्री कुसुम लता रुकी और भीड़ को चीरती हुई सामने पहुँच गई, जहाँ चिथड़ों में लिपटी एक मासूम बच्ची को फेंक कर मानवता शर्मसार कर दी गई थी।

"एक औरत कैसे इतनी निर्दय हो सकती है?" एक बुजुर्ग ने कहा।"

"हो सकता है घरवाला माँ से छीनकर बच्ची को यहाँ फेंक कर गया हो," एक औरत ने कहा।

"तुम ठीक कहती हो बच्ची जो है, समाज में औरत की यही नियति है," दूसरी औरत ने अपनी राय ज़ाहिर कर दी।

"हो सकता है यह नाजायज़ संबंध की औलाद है," एक आदमी ने चेहरे पर घृणा और दुत्कार का भाव दिखाया।

"आप लोग हटिए," पुलिस इंस्पेक्टर ने सामने से लोगों को हटा कर एक औरत को इशारे से बुलाया, "आप मेरी मदद करें।"

"कचड़े में पड़ी इस लक्ष्मी की परवरिश मैं करूँगी," इंस्पेक्टर ने बच्ची गोद में उठा ली और मोबाइल से एम्बुलेंस बुला ली। संयोग से एम्बुलेंस इधर से वापस जा रही थी।

इंस्पेक्टर की गोद में बच्ची रो उठी, सभी आश्वस्त हो गए बच्ची बच जाएगी।

"समाज में जब तक सही नज़रिया नहीं आयेगा लोग लक्ष्मी को कचड़े में ही फेंकते रहेंगे। अपनी माँ की ज़िद से मैं आज ज़िंदा हूँ और अपने माता-पिता का एकमात्र सहारा। मेरा भी जब जन्म हुआ था एक बहन के बाद तो दादा-दादी मुझे मार देना चाहते थे," इंस्पेक्टर कुसुम लता ने  कहा।

एम्बुलेंस की नर्स बच्ची को लेकर एम्बुलेंस में बैठ गई। एम्बुलेंस के पीछे-पीछे इंस्पेक्टर भी अस्पताल जाने के लिए बाइक पर सवार हो गई।

"आज एक लक्ष्मी ने कचड़े में फेंक दी गई दूसरी लक्ष्मी को अपने घर ले गई!" भीड़ में लोगों को कहते सुना गया।
 

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टिप्पणियाँ

होम सुवेदी 2021/03/17 12:42 PM

बाहा रे समाज । लक्ष्मी पे तेरी नजरिया कब बदलेगी ।

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