कहाँ लिखूँ
काव्य साहित्य | कविता बृजेश कुमार31 Oct 2014
कहाँ लिखूँ तेरा नाम दुनिया से छुपा के
कुछ भी तो नहीं मेरे पास जो नुमाया ना हो
अपनी काया के कण-कण में देखा
ऐसा भी तो कुछ नहीं जिसमें तू समाया ना हो
मेरी पलकों की परछाईयों में
मेरे दिल की गहराईयों में
मेरे अन्तर्मन और
जीवन की तनहाइयों में
कहाँ लिखूँ.............
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