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कौन करता याद

जिस शजर ने डालियों पे देखिये फल भर दिये
उसको चुनचुन कर के लोगों ने बहुत पत्थर दिये

कौन करता याद है सच बात बिल्कुल दोस्तो
वो दीवाने ही हैं जो ये जान कर भी सर दिये

फूल देता है वो सबको क्या गज़ब इन्सान है
भूल जाता किसने उसको बदले में नश्तर दिये

प्यार गर जागा नहीं दिल में तेरे किसकी ख़ता
हर बशर को तो ख़ुदा ने सैंकड़ों अवसर दिये

काटनी पंछी को थी पिंजरे में गर ये ज़िंदगी
क्यूँ मगर सैयाद ने फिर छोड़ ये कुछ पर दिये

रब नहीं देता है कुछ ख़ैरात में ये मान लो
नींद लेता उससे जिसको मखमली बिस्तर दिये

ज़िन्दगी बख़्शी ख़ुदा ने इस तरह नीरज हमें
यूँ लगे जैसे की उसने खीर में कंकर दिये

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