कवि
काव्य साहित्य | कविता डॉ. राजेन्द्र वर्मा1 Jul 2020
कवि वही नहीं
जो कविता बुनता है
कवि वह भी है
जो कविता सुनता है।
कवि वही नहीं
जो कविता रचता है
कवि वह भी है
जो कुछ कहने से बचता है।
कवि वह है
जो जीवन के प्रवाह में
अनायास बहता है
किनारे लगने का
प्रयास तो करता है
किन्तु
लहरों के थपेड़ों को
सीने पर सहता है
उफ नहीं करता है
जलप्रपात से
तिरस्कृत तृण की तरह
गिरता है
तरता है
भँवर से निकल कर
फिर चलता है।
कवि वही है
जो तिनके की तरह बहता है
सफ़र के अनुभव को
उंडेल कर शब्द गढ़ता है
ख़ाली रहता है।
कवि वह है
जो कवि होता है
यूँ काव्य-गोष्ठी होती है
हो रही है
सब सुनने को आतुर हैं
कविता कोई नहीं कहता है।
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