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खबर रिस रही है?

एशिया की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली भारतीय तिहाड़ जेल की सुरक्षा की पोल तो पहले ही एक सीरीयल किलर खोल चुका है जब वो एक नहीं, दो नहीं, कई कई बार हत्या करके लाश तिहाड़ जेल के दरवाजे पर डालकर फरार हो जाता था, बिना फेरारी के, रिक्शे में। इसीलिए चाँदनी चौक में रिक्शों के चलने पर रोक लगाई गई। इस खबर का उस खबर से क्या संबंध है, इसमें मगज मत मारो।

एकदम ताजा खबर है कि अगस्त तक सीसीटीवी से लैस होगा तिहाड़, अंदर की बात है कि न तो कैदियों को और न जेल स्टाफ को ही इसकी भनक लगेगी। वैसे जब जेल में मोनिका बेदी के बाथरूम में कैमरे लगने की खबर रिस गई और जेल प्रशासन ने मना करके अपना पल्ला झाड़ लिया तो यह खबर नहीं रिसेगी, इसकी क्या गारंटी वारंटी है?

भारतीय जेलें इतनी सुरक्षित हैं कि कैदियों के पास तंबाकू, बीड़ी और गांजा पहुँचता है, मोबाईल, नकद धनराशि, हथियार पहुँचते हैं, मिठाई, फ्रूट्स, ड्राई मेवा और ड्रिंक्स भी पहुँचते हैं। यह सब आपसी अंडरस्टैंडिंग का ही तो कमाल है।

जिन हाई सिक्यूरिटी वॉर्डों में कैमरे फिट किये जा रहे हैं, वहाँ से पहले कैदियों को हटाया जा रहा फिर बेहद गुप्त तरीके से कैमरे फिट जा रहे हैं। कैमरे मुलाकात कक्ष और पीआरओ ऑफिस में भी लगाए जा रहे हैं।  प्रबंधन को मालूम है कि कैदियों तक प्रतिबंधित चीजें जेल स्टाफ की मदद से ही पहुँचती हैं। पर वो मुगालते में है कि यह खबर नहीं पहुँचेगी, अखबार में छपकर भी नहीं। चैनलों पर प्रसारित कर देंगे तब तो बिल्कुल भी नहीं।

संभावना है जिस प्रकार शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाकर सभी मजदूरों को मरवा दिया था ताकि वे एक और ताजमहल न बना दें। उसी प्रकार गुप्त कैमरे फिट करने वालों को भी मरवा दिया जायेगा।

      रोजाना कैदी लाश में तब्दील हो रहे हैं और यह नहीं पता लग पा रहा है कि यमराज या उनके दूत कब और कैसे यह कार्य कर जाते हैं? इन कैमरों से यह अवश्य मालूम चलेगा जिससे यमराज और उनके दूतों का प्रवेश जेल में वर्जित कर दिया जाएगा और उनकी वीडियो पब्लिक को दिखा दी जाएगी। जिससे पुलिस का नापाक दामन पाक हो जायेगा।

      तिहाड़ जेल के प्रवक्ता ने एक संवाददाता को बताकर अपनी ड्यूटी पूरी की, संवाददाता ने खबर छापकर अपनी। किंतु यह पता नहीं लग पा रहा है कि तिहाड़ जेल में गुप्त कैमरे फिट करने की खबर रिस कैसे गई ?  गुप्त कैमरे फिट करने वालों को भी मरवा दिया गया था। जब कभी बाद में जाँच कमेटी बैठेगी तो यही कयास लगायेगी? है न आठवाँ अजूबा।

अभी तिहाड़ जेल में मोबाइल जैमर लगाना बाकी है ताकि  बेहद निगरानी के बावजूद भी कैदियों तक अगर मोबाइल पहुँच ही जाते हैं तो वे इनका इस्तेमाल न कर पायें। जेल स्टाफ और अधिकारियों के लिए लैंडलाईन की चुस्त व्यवस्था पहले की तरह लागू रहेगी जिससे वे सभी से संपर्क कर सकेंगे क्योंकि जैमर जेल स्टाफ और कैदियों के मोबाईल में फर्क करने से तो रहा?  मिलीभगत यहाँ भी अपना रंग दिखायेगी जब यह मालूम होगा कि लैंडलाईन से फोन तो कैदी भी कर रहे थे।

अंत में मुख्य मुद्दे पर आना जरूरी है जिसमें जेल प्रवक्ता ने माना है कि कैमरे लगाना इसलिए भी जरूरी हो गया था क्योंकि कई मामलों में कुछ कैदियों ने जेल स्टाफ से बदतमीजी की थी लेकिन कोर्ट में जाकर उन्होंने बताया कि जेल स्टाफ ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। असली दुखती रग तो यही है, कैमरे लगाने का सारा झमेला इसीलिए किया गया है, गई न भैंस पानी में?

      संभावना तो यह भी है कि जब जेल स्टाफ कैदियों को प्रताड़ित कर रहा होगा तो रिकार्डिंग रोक दी जाएगी। अगर गलती से हो भी गई तो उसे डिलीट कर दिया जायेगा क्योंकि जेल प्रवक्ता ने यह भी माना है कैमरे लगने के बाद सभी कैदियों के कार्यकलाप इसमें रिकार्ड हो जायेंगे जिन्हें सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है। इस सब का लब्बोलुआब यह है कि यह सारी ड्रिल सिर्फ अपने को बचाने के लिए की जा रही है। जय हो तिहाड़ जेल की और जेल प्रशासन की भी जय हो।

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