ख़ुदा से है कोई ख़ारिज...
शायरी | ग़ज़ल अमित 'अहद’1 Mar 2019
ख़ुदा से है कोई ख़ारिज तो कोई राम से ख़ारिज
यहां हर शख़्स होता है ख़ुद अपने काम से ख़ारिज
भले किरदार हो कोई निभाना नेक नीयत से
कोई इंसान होता है बस अपने काम से ख़ारिज
बहन ने हिंदू भाई को फ़क़त बाँधी थी इक राखी
उलेमा कर रहे हैं अब उसे इस्लाम से ख़ारिज
अगर ढूँढ़ोगे तो मिल जायेंगी कुछ ख़ामियाँ सब में
जिसे करना हो नक्कादों करो आराम से ख़ारिज
कभी माँ बाप की ख़िदमत नहीं की उम्र भर जिसने
समझना तुम उसे हर एक तीरथ धाम से ख़ारिज
'अहद' इल्जाम है मुझ पर हमेशा हक़बयानी का
मुझे सबने किया है बस इसी इल्जाम से ख़ारिज!
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Shankar singh 2019/03/01 06:06 AM
shandaar...........