किसान की व्यथा
काव्य साहित्य | कविता आलोक कौशिक1 Aug 2020
मैं किसान हूँ
अब आपने अनुमान लगा ही लिया होगा
कि मेरे पिता एवं पितामह भी
अवश्य ही किसान रहे होंगे
आपका अनुमान सही है श्रीमान
मेरे पूर्वज भी थे किसान
किसान का पुत्र किसान हो या ना हो
किसान का पिता अवश्य किसान होता है
किसान होना तो अभिशाप समझा जाता है
अगर विश्वास ना हो तो आप कभी किसी को
किसान बनने का आशीर्वाद देकर देख लीजिए
आपका भ्रम अवश्य दूर हो जाएगा
किसान पर लिखना और बोलना आसान है
कठिन तो है किसान बनना
किसान बनकर जीवन व्यतीत करना आसान नहीं होता
धैर्य, साहस और समर्पण चाहिए
किसान को संतान सी प्रिय होती है
लहलहाती हुई फ़सल
और परम प्रिय को खोने की पीड़ा के समान ही होता है
फ़सलों के नष्ट होने का कष्ट
किसान की व्यथा को
इस भूतल पर
केवल किसान ही समझ सकता है
और कोई नहीं
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