क्षमा भाव
काव्य साहित्य | कविता रंजना जैन15 Sep 2021 (अंक: 189, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
जब क्षमा भाव गहराता है
मन करुणामय हो जाता है
उर द्वेष मुक्त हो जाता है
बस गीत ख़ुशी के गाता है!
हे गुरुवर! सद्ज्ञान प्रभा से
जीना सच में आता है!!
जब क्षमा भाव गहराता है
मन करुणामय हो जाता है!
रोम रोम से क्रोध निकलकर
निर्मल स्व बन जाता है
स्नेह दया अमृत को पीकर
सबको गले लगाता है!
हे गुरुवर! अनमोल रतन यह
रौशन पथ हो जाता है!!
जब क्षमा भाव गहराता है
मन करुणामय हो जाता है!
प्रेम को विस्तृत करे मनुज जो
अहं स्वयं उड़ जाता है
शुद्ध सरल हृदय को पाकर
क्षमा युक्त झुक जाता है!
हे गुरुवर! उत्तम दर्शन यह
जग सोना बन जाता है!!
जब क्षमा भाव गहराता है
मन करुणामय हो जाता है!
यदि कोई हो भूल स्वयं से
क्षमा याचना, भाता है
अभय दान दे सब जीवों को
निशदिन मंगल गाता है!
हे गुरुवर! अनुपम यह जादू
सोये भाग्य जगाता है!!
जब क्षमा भाव गहराता है
मन करुणामय हो जाता है!!
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