कुछ शब्दों में कैसे लिख दूँ, मज़ा मेरे गाँव का
काव्य साहित्य | कविता नारायण दोगाया1 Jun 2021 (अंक: 182, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
चिड़ियों की चहक, मिट्टी की महक,
नीला अम्बर, नीली नदिया,
जम के नाचे खेतों की बगिया,
गर्मी का मोसम, पीपल की छाँव का,
कुछ शब्दों में कैसे लिख दूँ, मज़ा मेरे गाँव का....
सब मिल रहते साथ यहाँ,
ना धर्म जात पर दंगे हैं,
मुस्लिम लेते राम नाम,
और हिंदू अल्लाह के बंदे हैं,
कोयल की मीठी बोली या कव्वे की काँव-काँव का
कुछ शब्दों में कैसे लिख दूँ, मज़ा मेरे गाँव का....
फल, फूल, नर, वानर कहते
मँ प्रकृति तेरा हार्दिक वंदन है
हर पथिक, राह चलते का
हर घर में ही अभिनंदन है
पेड़ो से बँधे झूलों का और नदिया में चलती नाव का
कुछ शब्दों में कैसे लिख दूँ, मज़ा मेरे गाँव का....
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