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कुम्भकर्ण के अवतार

दानवराज कुम्भकर्ण सपने में शिकायत लेकर, ब्रह्मा जी के पास ब्रह्मलोक मे पहुँच गया, “भगवन! आप देवताओं ने मुझे इंद्रासन की जगह कैसा निद्रासन दिया है कि मेरी नींद ही पूरी नहीं हो रही है . . .  भला कोई छह महीने का भी निद्रासन होता है . . . ?“

“शांत हो वत्स! शांत हो," ब्रह्मा जी कुम्भकर्ण को समझाते हुए बोले . . .  "मैं तुम्हारे दुख को समझता हूँ; पर मैं इस समय तुम्हारे निंद्रासन की अवधि को बढ़ा नहीं सकता, क्यूँकि दूसरी तरफ़ श्री राम जी की सेना लंका में प्रवेश कर चुकी है। जिससे तुम्हारा मृत्युकाल निकट आ गया है। थोड़ी देर बाद तुम्हे युद्ध के मैदान मे जाकर वीरगति को प्राप्त होना है . . .  हाँ! में तुम्हें यह वर देता हूँ कि कलयुग के आने पर तुम भारत देश में नेता के रूप में अवतार लोगे, और छह महीने की जगह पूरे पाँच साल तक निद्रासन मे रहोगे, केवल चुनावों के समय कुछ देर जागकर आम जनता के सामने आओगे . . . ।“

ब्रह्मा जी आगे कुछ कहते, इससे पहले रावण के किसी अनुचर ने कुम्भकर्ण के कान मे इतनी ज़ोर का भोंपू बजाया कि उसकी आँख खुल गयी और सपना टूट गया।

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