कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - हिन्दी दिवस विशेष
काव्य साहित्य | कविता-मुक्तक डॉ. सुशील कुमार शर्मा15 Jan 2020
कुण्डलिया छंद
(हिंदी दिवस पर विशेष )
1.
लहराती द्युति दामनी, घोल मधुरमय बोल।
हिन्दी अविचल पावनी, भाषा है अनमोल।
भाषा है अनमोल, कोटि जन पूजित हिंदी।
फगुवा रंग बहार, गगन में चाँद सी बिन्दी।
कह सुशील कविराय, प्रेम रंग रस बरसाती।
कोकिल अनहद नाद, तरंगित मन लहराती।
2.
हिंदी भाषा दिव्य है, स्वर्ग सरिस संगीत।
हिन्दी ने ही रचे हैं, दिव्य काल गत गीत।
दिव्य काल गत गीत, रची तुलसी की मानस।
संस्कृत का आधार, लिए हिन्दी का मधुरस।
कह सुशील कविराय, मातु के माथे बिन्दी।
नेह नयन अनुराग, समेटे सबको हिन्दी।
3.
हिन्दी ही व्यक्तित्व है, हिन्दी ही अभिमान।
हिन्दी जीवन डोर है, हिन्दी धन्य महान।
हिंदी धन्य महान, राष्ट्र की गौरव भाषा।
चेतन चित्त विभोर, हृदय की चिर अभिलाषा।
आदि अनादि अमोघ, मध्य जिमि नारी बिन्दी।
सुंदर सुगम सरोज, हमारी प्यारी हिंदी।
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