क्या करें?
काव्य साहित्य | कविता रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’1 Jun 2020
हो गई फिर भूल, कैसे क्या करें
शूल -से हैं फूल, क्या करें।
मिल सकेगा कौन पथ में प्यार से
उड़ रही है धूल, कैसे क्या करें।
रोपने को आम तो रोपे गए
उगे सिर्फ़ बबूल, कैसे क्या करें।
आचरण की फुनगियाँ ही मिल सकी
अदृश्य रहा मूल, कैसे क्या करें।
मानसिकता तनिक भी बदली नहीं
विवश धारा, कूल, कैसे क्या करें।
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