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लाईव-टेलीकास्ट

तहलका प्रकरण के पश्चात दूरदर्शन के समाचार चैनलों में भ्रष्टाचारियों की पोल खोलने की होड़ लग गयी थी। ज़्यादातर सेटलाईट चैनलों ने इसके लिये अपनी विशेष वेबसाईट खोल ली थीं। वे दर्शकों से अनुरोध करते थे कि अगर उनकी जानकारी में कहीं पर कोई भ्रष्टाचार हो रहा हो तो वे इन वेबसाईटों पर ई-मेल कर दें। उसके बाद उस चैनल की कैमरा टीम सबको बेनक़ाब कर देगी।

संकल्प को भ्रष्टाचारियों और समाज विरोधी तत्वों से बहुत चिढ़ थी। उसने ऐसी सभी वेबसाईटों  के पते नोट कर रखे थे। कुछ दिनों पहले उसने अपनी कॉलोनी में स्थित एक सरकारी कार्यालय के बेईमान अधिकारी के बारे में जी-न्यूज़ वालों को जानकारी भेजी थी। उसके बाद जी-न्यूज़ के संवाददाता भेष बदल कर उस बेईमान अधिकारी से मिले थे और उसकी सारी करतूतों को रिकार्ड कर लिया था। रिश्वत लेते हुये उस अफ़सर के जीवंत चित्र जब जी-न्यूज़ पर प्रसारित हुये तो सरकार ने उसी दिन उस अधिकारी को निलम्बित कर दिया था और संकल्प को पुरस्कार देने की घेाषणा की थी। जी-न्यूज़ वालों ने संकल्प का इंटरव्यू भी प्रसारित कर दिया था जिसके कारण संकल्प काफ़ी लोकप्रिय हो गया था।

दो दिनों पश्चात संकल्प की ममेरी बहन की शादी थी। इसलिये उसके मम्मी-पापा उसके छोटे भाई को लेकर दूसरे शहर चले गये थे। संकल्प की वार्षिक परीक्षायें नज़दीक थीं इसलिये वो घर पर ही रुक गया था। रात 11 बजे तक पढ़ाई करने के पश्चात वो सोया ही था कि कुछ आहट पाकर उसकी नींद खुल गयी। 

उसने उठ कर दूसरे कमरे में झाँका तो उसके होश उड़ गये। दो चोर उस कमरे में रखा क़ीमती सामान बटोर रहे थे। पहले संकल्प ने सोचा कि शोर मचा दे फिर उसे लगा कि ये ठीक नहीं होगा। घर में वो अकेला है और चोर 2 हैं। वे लोग उसे नुक़सान पहुँचा सकते हैं।

‘चलो टेलीफोन करके पड़ोसियों को जगा दिया जाये’ संकल्प ने सोचा किन्तु वह मन मसोस कर रह गया। क्योंकि टेलीफोन उसी कमरे में था जिसमें चोर सामान बटोर रहे थे। चोरों को देख कर उसका ख़ून खौल रहा था किन्तु वह बेबस पक्षी की तरह तड़प रहा था। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे!

अचानक उसे ध्यान आया कि कम्पयूटर तो उसी के कमरे में लगा है। बिना एक पल गँवाये उसने कम्पयूटर को खोल लिया। चंद क्षणों पश्चात ही कम्पयूटर डेस्कटॉप पर विभिन्न प्रोगाम के शार्ट-कट दिखायी पड़ने लगे। संकल्न ने माउस की सहायता से स्क्रीन पर बने तीर को इंटरनेट प्रोग्राम पर ले जाकर क्लिक कर दिया। हल्की सी पीं... की आवाज़ हुई और स्क्रीन पर इंटरनेट की फ़ाईल खुल गयी।

संकल्प को कई इंटरनेट कम्पनियों के पते ज़ुबानी याद थे। उसकी ई-मेल फ़ाईल ‘याहू’ की वेबसाईट में थी। ‘याहू’ दुनिया की बहुत बड़ी इंटरनेट कम्पनी है। संकल्प की उँगलियाँ तेज़ी से कम्पयूटर के की-बोर्ड पर चलने लगीं। चंद पलों में ही उसकी ई-मेल की फ़ाईल खुल गयी। 

उसने बिना एक पल गँवाये संदेश टाईप करना शुरू किया "मैं संकल्प कक्षा 8 का विद्यार्थी इस समय घर में अकेला हूँ। हमारे घर में 2 चोर घुसे हुये है। कृपया मेरी मदद करिये। मेरा पता है बी/1 लोदी गार्डेन, नयी दिल्ली"।

इस संदेश को उसने एक-एक करके जी-न्यूज़, स्टार-न्यूज़ और आज-तक की वेबसाईटों पर ई-मेल के माध्यम से भेज दिया। इसके बाद वह कम्पयूटर बंद करके मदद की प्रतीक्षा करने लगा।

धीरे-धीरे काफ़ी समय बीत गया लेकिन कोई भी मदद के लिये नहीं आया। संकल्प अब परेशान होने लगा था। उसे सबसे बड़ा डर इस बात का था कि चोर कहीं उसके कमरे में न आ जायें। लेकिन चोरों को शायद उस कमरे में संकल्प की उपस्थित की जानकारी थी इसीलिये वे उस कमरे में नहीं आये और दूसरे कमरों से क़ीमती सामान बटोरते रहे।

मतलब भर का सामान बटोरने के पश्चात दोनों चोरों ने गठरियाँ बाँधी और इत्मिनान से खिड़की के रास्ते घर से बाहर निकलने लगे। संकल्प हाथ मलता रह गया। वो चाह कर भी उन्हें रोक नहीं पाया।

उधर संकल्प के मम्मी-पापा जहाँ शादी में गये थे वहाँ कुछ बच्चे देर रात में टी.वी पर पिक्चर देख रहे थे। अचानक फ़िल्म रुक गयी और टी.वी. पर उद्घोषिका का चेहरा उभरा। उसने दर्शकों को अभिवादन करने के बाद कहा, "हमारी कैमरा टीम इस समय एक विशेष अभियान पर गयी हुई है। हम पहले आपको उस अभियान का लाईव टेलीकास्ट अर्थात साीधा प्रसारण दिखाते हैं। फ़िल्म का शेष भाग उसके बाद दिखाया जायेगा। धन्यवाद।"

इसी के साथ उद्घोषिका का चेहरा ग़ायब हो गया और स्क्रीन पर संकल्प के घर के बाहरी हिस्से का दृश्य उभरा। घर के बाहर हाथ में माईक पकड़े एक संवाददाता खड़ा हुआ था। उसने माईक पर धीमे स्वर में कहा, "दोस्तो, आज हम लोग आपको जो कार्यक्रम दिखाने जा रहे हैं वैसा कार्यक्रम आज से पहले दुनिया के किसी भी देश में नहीं दिखाया गया होगा। इस समय इस घर के मालिक शहर से बाहर गये हुये हैं और इस घर में इस समय कुछ ख़ास मेहमान आये हुए हैं। तो आईये देखते हैं कि हमारी और हमारी साथी न्यूज़-चैनलों की टीमें इन मेहमानों का कैसे स्वागत करती हैं।"

इतना कह कर वो संवाददाता कैमरे के सामने से हट गया और टी.वी. पर एक बार फिर  संकल्प के घर का दृश्य दिखायी पड़ने लगा। संकल्प के मौसी के लड़के मानस ने उस घर को पहचान लिया था। वो दौड़ता हुआ दूसरे कमरे में मेहमानों के साथ बात कर रहे संकल्प के पापा के पास पहुँचा और उत्तेजनावश हाँफते हुये बोला,"मौसा जी, मौसा जी टी.वी. पर आपके घर का सीन दिखाया जा रहा है।"

"बेटा, वो किसी और का घर होगा। मेरे घर में आज तक कोई शूटिंग नहीं हुयी है," संकल्प के पापा ने हँसते हुये कहा।

"नहीं मौसा जी, वो आपका ही घर है। टी.वी.वालों ने बताया है कि वे वहाँ का लाईव टेलीकास्ट दिखाने जा रहे है। ऐसा कार्यक्रम आज से पहले कहीं नहीं दिखाया गया है," मानस ने ज़ोर देते हुये कहा।

संकल्प के पापा मानस की बात मानने के लिये तैयार नहीं थे लेकिन उसकी मम्मी उत्सुकतावश मानस के साथ चली गयी। अगले ही पल उनकी चीख सुनायी पडी,"जल्दी आईये। ये अपना ही घर है।"

सभी लोग दौड़ कर टी.वी. वाले कमरें मे पहुँचे। टी.वी. स्क्रीन पर संकल्प के घर का दृश्य दिखाया जा रहा था। अचानक एक कमरे की खिड़की पर कुछ हलचल मालूम हुई। अगले ही पल कैमरा उस खिड़की पर टिक गया और वहाँ का दृश्य बिल्कुल साफ़ दिखायी पड़ने लगा।

खुली हुयी खिड़की से एक व्यक्ति ने सिर निकाल कर इधर-उघर झाँका। चारों ओर छायी शांति को देख वो इत्मिनान से बाहर निकल आया। अगले ही पल खिड़की पर दूसरे व्यक्ति का चेहरा दिखायी पड़ने लगा। उसने एक-एक करके गठरियाँ बाहर खड़े व्यक्ति को पकड़ानी शरू कर दीं।

"अरे ये तो चोर हैं। मेरा पूरा घर लूट कर लिये जा रहे हैं और ये टी.वी. वाले मूर्ख चोरों को पकड़ने के बजाय चोरी का लाईव टेलीकास्ट कर रहे हैं," संकल्प के पापा ग़ुस्से से मुट्ठियाँ भींचते हुए चीख पड़े।

"हाय, जल्दी से पुलिस को फोन कीजये वरना ये चोर सब कुछ लेकर चम्पत हो जायेगें," संकल्प की मम्मी रोते हुये बोलीं।

संकल्प के पापा ने टेलीफोन के रिसीवर को उठाया ही था कि वे क़रीब आ रोते हुये बोलीं, "पहले मेरे बेटे के बारे में पता कीजये कि वो ठीक से है या नहीं।"
        
संकल्प के पापा ने अपने घर का नम्बर मिलाने से पहले एक बार टी.वी. की तरफ़ देखा तो चौंक पड़े। खिड़की से उतरने के बाद दोनों चोरों ने गठरियाँ उठायी ही थीं कि बाउंड्री-वाल के पीछे छुपे कई कैमरामैनों और संवाददाताओं ने उन देानों को घेर लिया।

"श्रीमान जी, हमारे दर्शक यह जानने के लिये बेक़रार हैं कि आप दोनों ने इस घर में किस-किस सामान की चोरी की है। क्या आप लोग अपनी गठरियों को खोल कर हमारे दर्शकों को दिखाना पसंद करेगें?" एक संवाददाता ने अपना माईक एक चोर के मुँह के सामने करते हुये पूछा।

"सर, क्या आप लोग अकेले ही ऑपरेट करते हैं या आपका केाई नेटवर्क है?" एक अन्य चैनल के संवाददाता ने अपना प्रश्न दाग दिया।

"सर, क्या आप लोग सिर्फ़ चोरियाँ ही करते हैं या फिर डाके वग़ैरह भी डालते है?" पीछे खड़े एक संवाददाता ने पूछा।

"सर, पहले आप हमारे दर्शकों को यह बताइये कि चोरी जैसा महान कार्य करने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली," एक महिला संवाददाता ने आगे बढ़ते हुये पूछा।

इतने सारे लोगों को देख कर चोर पहले ही हक्का-बक्का हो गये थे। उपर से प्रश्नों की बौछार ने तो उनके होश फ़ाख्ता कर दिये। अपनी-अपनी गठरियाँ  फेंक कर दोनों वहाँ से भाग लिये। 

"भाईयो-बहनो, आप लोग सेाच रहे होंगे कि ये दोनो चोर यहाँ से भाग जायेगें। जी नहीं, आपका अंदाज़ा ग़लत है। हमने इनके स्वागत की पूरी तैयारी कर रखी है," टी.वी. पर उस  महिला संवाददाता की जोश भरी आवाज़ गूँजी। 

इसी के साथ  कैमरा भाग रहे चोरों पर टिक गया। वे दोनों बांउड्री के पास पहुँच कर उस पर चढ़ने की कोशिश कर ही रहे थे कि दोनो के मुँह पर एक-एक फौलादी घूँसा पड़ा और इसी के साथ बाहर से उछल कर कई पुलिस वाले भीतर आ गये।

इससे पहले  कि वे दोनों कुछ समझ पाते पुलिस वालों ने लात-घूँसों से उनकी पूजा शुरू कर दी। दोनों चोरों की चीखें गूँजने  लगीं।

शोर सुन कर संकल्प ने खिड़की से बाहर झाँका। पुलिस वालों को देख वो बाहर निकल आया। संकल्प को देखते ही एक संवाददाता ने उसकी पीठ ठोंकते हुये कहा, "शाबाश बेटा, हम सबको ई-मेल पर तुम्हारा संदेश मिल गया था। हम लोग फटाफट पूरी तैयारी से यहाँ आ गये । इस समय यहाँ घटित हो रही सारी घटनाओं का लाईव टेलीकास्ट टी.वी. पर हमारे दर्शक देख रहे हैं।"

पूरी बात सुन संकल्प का चेहरा गंभीर हो गया। उसने कहा, "अंकल, आप लोगों ने दर्शकों को तो लाईव टेलीकास्ट दिखा दिया लेकिन हमारी  मदद नहीं की। ये भी नहीं सोचा कि अंदर मैं अकेला हूँ अगर इन  चोरों ने कुछ कर दिया तो फिर मेरा तो डेड-टेलीकास्ट ही होता।"

"बेटे, हमने सबसे पहले तुम्हारी सुरक्षा के बारे में ही सोचा था," उस संवाददाता ने स्नेह से संकल्प के सिर पर हाथ फेरते हुये कहा।

"अगर सोचा था तो फिर हमारी सुरक्षा के लिये कुछ किया क्यूँ नहीं?" संकल्प झल्ला उठा।

"कौन कहता है कि हमने कुछ नहीं किया। हम लोग सिर्फ़ घटनाओं को भुनाते नहीं हैं बल्कि सुरक्षा को पहला महत्व देते हैं। वो देखो अपने घर के रोशनदानों की तरफ़," महिला संवाददाता ने संकल्प के क़रीब आते हुये कहा।

संकल्प ने ऊपर की तरफ देखा। हर कमरे के रोशनदान के पास पुलिस के कमांडो अपने हाथ में रिवाल्वर थामे मुस्तैद खड़े थे। अगर चोरों ने उसके साथ कोई भी हरकत करने की कोशिश की होती तो वे तत्काल उन्हें अपना निशाना बना लेते।

यह देख संकल्प  के चेहरे पर राहत के चिह्न उभर आये। उसने सभी संवाददाताओं की ओर हाथ जोड़ते हुये कहा,"आप लोग मेरा संदेश मिलते ही मदद के लिये चले आये इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।"

"बेटे, धन्यवाद तो हम लोगों को देना चाहिये क्योंकि तुमने आज टी.वी. की दुनिया को एक  नयी दिशा दी है। न्यूज़-चैनलों की सहायता से भी चोरों को पकड़ा जा सकता है; आज से पहले किसी ने कभी सोचा भी नहीं था। इस लाईव-टेलीकास्ट को इस समय लाखों लोग देख रहे होंगे और करोड़ों लोग कल देखेंगे। अपने सभी दर्शकों से हमारा अनुरोध है कि अगर वे अपने आस-पास कोई संदिग्ध घटना देखें तो हमारी वेबसाईट पर अवश्य सूचना भेज दें। जनता की सेवा के लिये हमारी वेबसाईट चैबीसों घंटे खुली रहती है। नमस्कार!" एक वरिष्ठ संवाददाता ने कहा और इसी के साथ टी.वी.स्क्रीन पर दिखायी पड़ने वाले दृश्य ग़ायब हो गये।

अगले ही पल स्क्रीन पर उद्घोषिका का चेहरा उभरा । उसने मुस्कराते हुये कहा, "दोस्तो, हमें विश्वास है कि आपको हमारा ये लाईव-टेलीकास्ट पसंद आया होगा। इस बिल्कुल ही नये तरीक़े के कार्यक्रम के लिये हम अपने नन्हें दोस्त संकल्प को एक बार फिर धन्यवाद देते है और फिर देखते हैं फ़िल्म का शेष भाग।"

फ़िल्म एक बार फिर शुरू हो गयी थी। सभी के चेहरे पर राहत के चिह्न उभर आये थे। संकल्प के पापा ने इत्मिनान से संकल्प को फोन मिला कर बधाई दी फिर अपने बहादुर बेटे से मिलने कार से उसी समय अपने घर की ओर चल पड़े। 

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