लुटती है रोज़ प्यार की बारात देखिये
शायरी | ग़ज़ल वेणी शंकर पटेल 'ब्रज'18 Jan 2018
कितने बदल गये यहॉ हालात देखिये
अब दोस्तों को दुश्मनों के साथ देखिये
कैंसे बनेंगे रिश्ते यहॉ प्यार के जनाब
लुटती है रोज़ प्यार की बारात देखिये
इल्ज़ाम आ न जाये कहीं रहनुमाई पर
बिगड़े अगर जो मुल्क के हालात देखिये
वीरान ज़िंदगी में मेरी कौन आ गया
दिल पर हुई है नूर की बरसात देखिये
ऐसा नज़र फ़रेब है महबूब-ए-"ब्रज"
ख़्वाबों में हो गयी मुलाक़ात देखिये
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