माँ
कथा साहित्य | लघुकथा संजय पुरोहित2 Jun 2016
"मम्मा, यू नो, मेरी फ्रेंडस कहती हैं कि आई लुक फ़ैट...कल से दो ही रोटी खाऊँगी"।"
"नहीं बिटिया, तुम बिल्कुल मोटी नहीं हो बल्कि बिल्कुल फ़िट हो।"
"ना मम्मा, ओनली टू चपाती फ्रोम टुमारो...दिस इज़ फ़ाईनल!"
अगले दिन बिटिया ने देखा, माँ ने उसके लिये दो ही रोटी बनाईं पर रोटी का आकार दुगुना था और मोटाई भी।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
लघुकथा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं