महाकाल आदेश
काव्य साहित्य | कविता राजीव डोगरा ’विमल’1 Feb 2021
महाकाल ने कहा,
काल से परे चले जाओ न
मृत्यु अघोष करती है
तो करने दो न।
जिसका भी वरण करती है
तो करने दो न,
तुम्हें क्या लेना किसी से
तुम्हें क्या देना है किसी को।
अपने इष्ट की वंदना
यही तो कर्म है
इस नश्वर जीवन का,
जो नहीं करता है
उसे रहने दो न ।
जो मरता है जिस हाल में
उसको मरने दो न,
मर्यादा से हटकर
किसी को भी मर्यादा में
नहीं बाँधा जाता।
मर्यादा हीन होने दो न
काल से दंडित होता है
तो तुम होने दो न।
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