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मैं भ्रष्टाचार मिटाऊँगा

चिल्ला चिल्ला कर भैया बोला भ्रष्टाचार मिटाऊँगा
अब तक यह मंत्री खाये सब बचाखुचा मैं खाऊँगा

दूध दही तो खा गये एमपी छाछ छोड़ के चले गये
छाछ में खड़िया मिलवाकर दूध के दाम बिकाऊँगा

मंत्री खा गये, एमपी खाये, खा गये घर के रखवाले
मैं इन पर लानत पढ़ कर देश को ही खा जाऊँगा

तेल में चोरी, गैस में चोरी, चोरी अब हर गली-गली
चोरी की निंदा कर कर मैं खुद डकैत बन जाऊँगा

बेईमानी और ना इंसाफी मिली कुटी अब तन तन में
जिसको देखूँ सो चोर लगे किसका अपना हो पाऊँगा

रुको नहीं तुम, बढ़े चलो कभी तो वो दिन आयेगा
लिख के घोटाली करतूतें, मैं खुले आम पढ़ पाऊँगा

ढूँढ़ूँगा मैं महलों में और छानूँगा हर एक बंगला
छुपा जो धन है स्विस बैंक में भारत वापस लाऊँगा

कहे रज़ा कविराज कहाँ से मन लाऊॅ जो सहूँ इसे
भूख बीमारी महँगाई मैं देख देख के मर जाऊँगा

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